Expert View
राँची को अगर गूगल मैप पर देखा जाए तो यहां काफी अधिक मात्रा में विकास के लिए उपलब्ध भूमि दिखाई देती है जिसे देखकर लगता है की यहां आवासीय प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन काफी अधिक मात्रा में उपलब्ध है लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिलकुल उलट है और इसकी वजह है सन 1908 में पारित किया गया छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट मतलब CNT एक्ट जिसके तहत यहां के आदिवासी अपनी जमीन बाहर के किसी व्यक्ति को नहीं बेच सकते | ऐसी परिस्थिति में यहां बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए नॉन CNT जमीन का बड़ा भूभाग मिल पाना संभव ही नहीं है और यही समस्या IPAN की टीम को भी सुरक्षा एन्क्लेव के लिए उपयुक्त जमीन खोजते वक्त हुई. जमीनों के जो भी बड़े टुकड़े हमें सुरक्षा एन्क्लेव के लिए उपयुक्त लगे वहाँ CNT एक्ट की वजह से बात आगे ही नहीं बढ़ पायी. कुछ जगहों पर उम्मीद जगी की सुरक्षा एन्क्लेव लाने के लिए बड़ी जमीन मिल जायेगी लेकिन दस्तावेजों की गहन छानबीन के बाद फिर निराशा हाथ लगी क्यूंकि पूरे प्रोजेक्ट के बीच में CNT एक्ट की जमीनें आती थीं और इस प्रकार नॉन CNT जमीन के बड़े टुकड़े की हमारी तलाश चलती रही... इसी समस्या का सामना हमें पिछली बार लांच किये राँची के प्रोजेक्ट में करना पड़ा था और एक जिम्मेदार संस्था होने के नाते भविष्य में आने वाली परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए हमने राँची के उस प्रोजेक्ट को स्थगित कर दिया था और यह निश्चय किया कि इकðे एक साथ 30 से 35 एकड़ की नॉन CNT जमीन उपलब्ध न होने कि सूरत में अलग अलग 5 से 10 एकड़ में अनेक प्रोजेक्ट नॉन CNT जमीनों पर लांच किये जाएँ... अब तलाश एक ऐसी जमीन की थी जो नॉन CNT तथा कानूनी रूप से तो सही हो ही साथ ही वो किसी ऐसे क्षेत्र में स्थित हो जहाँ पहले दिन से ही तमाम बुनियादी सुख सुविधाएँ मौजूद हों जिस से हमारे आवेदक वर्तमान में ही मकान बनाकर रहना शुरू कर सकें साथ ही कनेक्टिविटी के मामले में भी यहाँ के निवासियों को किसी प्रकार का समझौता न करना पड़े. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए राँची में हमारी टीम के पास सबसे बेहतर विकल्प यही था की सुरक्षा एन्क्लेव को किसी ऐसे स्थान पर लाया जाये जहाँ से रिंग रोड तथा बाकी के प्रमुख हाईवे पर सुगमता से जल्दी पहुंचा जा सके | राँची में जमीनों का गहन सर्वेक्षण करने के बाद हमारी टीम ने सुरक्षा एन्क्लेव के लिए चुना चंदवे क्षेत्र में स्थित चरदी को जहाँ CNT एक्ट की समस्या नगण्य है. इस क्षेत्र का विकास भी काफी तेजी से हो रहा है और यहाँ से रिंग रोड तथा बाकी के प्रमुख हाईवे पर सुगमता से जल्दी पहुंचा जा सकता है|
Location Video
Let’s Take a Tour
Brochure
Price & Payment Plan
Please write your QUERY here
ABSAY के बारे में
हमें अपनी परियोजना, अखिल भारतीय सुरक्षा आवास योजना (ABSAY) के बारे में साझा करने में खुशी हो रही है, जिसे हमने भारतीय अर्ध सैनिक बल के कार्मिकों के लिए तैयार और डिजाइन किया है। वर्तमान में हम भारत के 25 शहरों में हज़ारों घर बनाने के इच्छुक अर्ध सैनिक बल कार्मिकों की सेवा कर चुके हैं। जब हमने भारतीय अर्ध सैनिक बल कार्मिकों के लिए उपयुक्त जीवन शैली के अनुरूप परियोजना की तैयारी शुरू की, तो यह निम्न कारणों से एक जटिल कार्य था:-
- एक विशिष्ट सामाजिक समूह बनाना था (अर्ध सैनिक बल)
- सम्पूर्ण भारतवर्ष में परियोजनाएं लानी थीं (30 भारतीय शहर)
- गुणवत्ता में समझौता किए बिना किफायती परियोजनाएँ लाना
- सामाजिक एवं भावनात्मक जीवन के लिए अनूकूल
- भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विविधता के लिए उपयुक्त
रियल एस्टेट इंडस्ट्री में IPAN के एक दशक से अधिक के अनुभव के आधार पर हम इस चुनौती को बखूबी निभाने में सफल रहे हैं। IPAN भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट सलाहकार कंपनियों में से एक है जो भारत के 25 से अधिक शहरों में मौजूद है और वर्ष 2022 में एक दर्जन से अधिक और नये शहरों में हम अपनी सेवाएँ शुरू करेंगे। हमारे बहुत से प्रोजेक्ट्स में ग्राहकों के पक्ष में रजिस्ट्रियों का निष्पादन किया जा रहा है और प्रोजेक्ट की पोसेशन भी ऑफर कर दी गयी है। लगभग एक दर्जन और परियोजनाओं का वर्ष 2022 में पोसेशन ऑफर कर दिया जाएगा।
ABSAY के माध्यम से, हमने सामूहिक खरीदारी की अवधारणा को सफलता पूर्वक निष्पादित किया है। सामूहिक खरीदारी के अंतर्गत घर खरीदने पर अर्ध सैनिक बल के कार्मिकों को अन्य फायदों के साथ साथ कीमत में भी लाभ मिलता है। बिचौलियों, प्रॉपर्टी डीलरों और एजेंटों को बीच से हटाकर हमने सीधे अर्ध सैनिक बल के कार्मिकों से संपर्क किया। हमने उनके पसंद के दो शहरों के लिए उनके रजिस्ट्रेशन करने के साथ शुरुआत की। एक निश्चित संख्या होने के बाद, हम संबंधित शहर के मुख्य बिल्डरों से संपर्क कर प्रोजेक्ट लाते हैं, इस पूरी प्रक्रिया से कई खर्चों को बचाया जाता है जैसे कि मार्केटिंग का खर्च, भूमि में निवेश पर ब्याज का खर्च इत्यादि और इसी बचत को सामान्यतः छूट के रूप में अर्ध सैनिक बल के कार्मिकों को दिया जाता है।